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1 Uncorrected/Not for Publication – 13.03.2013 2 Uncorrected/Not for Publication – 13.03.2013 3 Uncorrected/Not for Publication – 13.03.2013 4 Uncorrected/Not for Publication – 13.03.2013 5 Uncorrected/Not for Publication – 13.03.2013 AKG-KR/1A/11.00 The House met at eleven of the clock, MR. CHAIRMAN in the Chair. --- Q.No.221 ी रिव शंकर साद : माननीय सभापित जी, मन े माननीय मंतर्ी जी का उर देखा है। मेरे ख्याल से माननीय मंतर्ी जी अपने यापक अनुभव से समझते हगे िक मेरा न महँगाई के सन्दभ र् म है। फू ड इन्लेशन काफी बढ़ा हुआ है। आपकी िदली की मुख्य मंतर्ी ने जनवरी म आपको एक पतर् िलखा िक याज की कीमत बहुत बढ़ गई है, अत: आप इसके एक्सपोटर् को बैन किरए। आज सुबह भी मन े याज की कीमत मालमू की है। मदर डेयरी, साउथ एवन्ये ू म यह 24-25 रुपए िकलो िमल रहा है। आपका उर बहुत लंबा है। आपका कृ िष मंतर्ालय कहता है िक हमारे यहा ँ याज का उत्पादन 16-17 िमिलयन टन होता है और खपत 15 िमिलयन टन होती है। टॉक सरलस है, इसिलए आप एक्सपोटर् कर सकते ह। आपकी मुख्य मंतर्ी कहती ह िक एक्सपोटर् बन्द कर दीिजए, क्यिक कीमत बढ़ी हुई ह। आपको दो साल पहले पािकतान से भी इसका इपोटर् करना पड़ा था, लेिकन मुबई म टर्ायल के िलए वहा ँ से आतंकवादी तो नहीं ला सके । माननीय मंतर्ी जी, मेरा आपसे बहुत सीधा सवाल है िक िवशेष रूप से व े चीज, जो बहुत महँगी ह, चूिकँ जनता महँगाई से परेशान है, तो याज के बारे म 6 Uncorrected/Not for Publication – 13.03.2013 Q.No.221 – (contd.) एक्सपोटर्-इपोटर् की आपकी क्या नीित है, उसम क्या कोऑिर्डनेशन है िक आपकी मुख्य मंतर्ी को भी िलखना पड़ता है िक आप एक्सपोटर् बनै किरए? यह हम आपसे जानना चाहगे। ी आनन्द शमार् : सभापित महोदय, मन े बड़े िवतार से माननीय सदय के न का उर िदया है। जहा ँ तक याज का न है, यह सही है िक जनवरी महीने म िदली की मुख्य मंतर्ी ने कृ िष मंतर्ी को पतर् िलखा था िक याज के सबन्ध म कीमत बढ़ी है, इसिलए उसके एक्सपोटर् पर रोक लगा दी जाए। इससे पहले इन्हने 2010 का हवाला िदया, 2010 म गभीर पिरिथित पैदा हुई थी। उस समय महाराटर् और कणार्टक म जो बािरश हुई,ं उनसे फसल का बहुत नुकसान हुआ था और कीमत 80 रुपए पर चली गई थी, िजससे हम इपोटर् करना पड़ा और एक्सपोटर् को एकदम से बैन करना पड़ा। जब िदली की मुख्य मंतर्ी का पतर् आया, तो इसकी समीक्षा की गई। इसके िलए इंटर-िमिनटीरीअल किमटी बनी है। यह नैफे ड और टेट टर्िंडगे एंटराइजेज़ के थर् ू कनेलाइज्ड एक्सपोटर् है। उसका रिजटर्ेशन होता है, नो ऑजेक्शन सिर्टिफके ट होता है। यह कमेटी चार बार बठी।ै कृ िष मंतर्ी ने िदली की मुख्य मंतर्ी को पतर् का उर िदया। उन्हने अपनी तरफ से एक तावना की िक एक िवशेष गाड़ी, िजसे फामर् फे री टर्ेन भी कहते ह, हॉिर्टकचर टर्ेन, लासल गावँ , महाराटर् से िदली याज लेकर आएगी। म सदन को यह अवगत कराना चाहता हूँ िक यह 7 Uncorrected/Not for Publication – 13.03.2013 Q.No.221 – (contd.) पिरिथित क्या थी, जो कु छ िदन के िलए थी और क्य पैदा हुई? इसका मुख्य कारण एक है िक याज की हमारी जो 60 ितशत फसल है, जो ूरेबल है, िजसको टोर िकया जा सकता है, वह रबी की फसल म आती है। 20 परसट फसल खरीफ की होती है और 20 परसट लेट खरीफ आती है, जो नवबर- िदसबर के आसपास आती है। इस बार बािरश देर से आई,ं खरीफ की फसल कम हुई, िफर भी जहा ँ तक भारत का न है, 17 िमिलयन टन से ज्यादा हमारा उत्पादन हुआ है। इसका 84 ितशत हम खुद इतेमाल करते ह, 6 ितशत टोरेज म रहता है और के वल 7 ितशत भारत से बाहर एक्सपोटर् होता है। इस बार िदली म आजादपुर मंडी जनवरी के महीने म िरपिलक डे की वजह से चार िदन बंद रही और साथ ही अनसीज़नल रेन हुई। राजथान और मध्य देश से, जहा ँ से िदली को लेट खरीफ का याज आता है, वहा ँ भयकरं बािरश हुई है। आजादपुर मंडी बदं रही है। उसके बाद िथित म सुधार हो गया। मन े उर म कहा है िक इसकी कीमत आजादपुर मंडी म 13 रुपए 10 पैसे िकलो है। उसके बाद, चूिकँ इन् टमीर्िडएरीज़ बहुत ह, उनके कारण यह कई हाथ से बदल कर आता है, जब तक यह गर्ाहक तक पहुँचता है, आजादपुर मंडी और दुकान के बीच 11 रुपए का अन्तर है। (1बी/एससीएच पर आगे) 8 Uncorrected/Not for Publication – 13.03.2013 VK-SCH/1B/11.05 Q.No.221 – (contd.) ी रिव शंकर साद: माननीय मंतर्ी जी, मेरा सवाल तो यह था िक महंगाई रुक नहीं पा रही है। आपने माना है िक 17 िमिलयन टन ोडक्शन है और 15 िमिलयन टन खपत है, लेिकन सलर्स के बावजूद आपकी मुख्य मंतर्ी अगर यह बोल रही ह, तो यह पीड़ा की बात है, िमसमनै ेजमट की बात है। मेरा दूसरा सवाल आपके उर के अंितम पैरागर्ाफ के सन्दभ र् म है, िजसम आपने िलखा है िक आपने एक इंटर-िमिनटीिरयल कमेटी बना रखी है। माननीय मंतर्ी जी, म इस उर को सही मानंू या उस उर को सही मानंू, िजसम आज से ढाई-तीन महीने पहले, 3.12.2012 को एक अनटाडर् क्वचने नं. 966 के तहत आपकी िमिनटर्ी ऑफ कं ज्यमसू र् अफे यसर् से मन े एक सवाल पूछा था िक आपके यहा ं याज के एक्पोटर्-इपोटर् के बारे म क्या नीित है, क्या इिलमटेशन है और िकतनी कं पिनय को इसका लाइसस िदया गया है? उसका उर था, “Information is being collected and will be laid on the Table of the House”. So, are the two Ministries not in sync? You are talking before the House about the Inter-Ministerial Committee and the Ministry of Consumer Affairs is not in the know about it, which they had said on the floor of the House. I would like to know how this whole thing is being managed. 9 Uncorrected/Not for Publication – 13.03.2013 Q.No.221 – (contd.) SHRI ANAND SHARMA: Sir, the hon. Member, as knowledgeable that Ravi Shankar Prasadji is, has sprung a surprise by quoting a reply which is hardly a reply about information being collected by the Ministry of... SHRI RAVI SHANKAR PRASAD: How can you say that it is not a reply? I am having a copy of it, Mr. Minister. Don’t say that it is not a reply. MR. CHAIRMAN: It is a reply, he is saying so. SHRI ANAND SHARMA: Sir, that reply is of the Ministry of Food and Consumer Affairs and they have said it because they do not control the Import-Export Policy, which comes under the Foreign Trade Policy. They have said, “The information is being collected”. The information has been asked for and I have made the information available to the hon. Member. The real reason is, when you look at the mandi price, the Nasik price, yesterday, it was Rs. 9. In Azad Pur market, I am repeating it, it was Rs. 13.10. If consumers are getting it at a higher price, this is an issue which we have discussed and debated in this House that we have to reduce the number of 10 Uncorrected/Not for Publication – 13.03.2013 Q.No.221 – (contd.) intermediaries. When there is a threatened shortage, it gives rise to speculation and profiteering. That is exactly what has happened. That is why the Agriculture Minister offered to send a special train. That offer stands. In fact, a Farm Ferry train is coming, carrying other things, from Maharashtra to Delhi. So, the Government keeps a sharp eye. We have intervened. These are canalised exports. But we cannot abruptly stop it because of the predictability and the credibility of the country. If we vacate the space, then that space will immediately be occupied by the other onion-producing countries. That has happened in the past. We have adequate stocks. There is no shortage. Now the fresh arrivals are also taking place. Therefore, the position, as such, is comfortable and it is absolutely essential that the concerned Departments of the State Governments also keep a sharp eye that if the arrival is at a particular price, profiteering and big margin of profiteering should not be allowed.