The English and Foreign Languages University Hyderabad-500 007 (Accredited 5 Stars in 2000 & Re-Accredited with ‘A’ Grade by NAAC in 2016)
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The English and Foreign Languages University Hyderabad-500 007 (Accredited 5 Stars in 2000 & Re-accredited with ‘A’ grade by NAAC in 2016) 2015-2016 Prof. Sunaina Singh Vice-Chancellor Hyderabad Campus Shillong Campus Lucknow Campus वाƞषक ितवेदन शैिणक वष 2015-2016 अंेजी एवं िवदेशी भाषा िवƉिवालय हैदराबाद - 500 007 Page | ii वषय सचीू तावना v कु लपत का संदेश vii अंेजी एवं वदेशी भाषा वववयालय अधनयम 2006 ix ईलू 2014 -2015: एक संहा वलोकन x कायकार परषद और वत समत xii वववयालय के अधकार xiii लेखा ववरण xiv I. शैणक परचय 01 1 कायम 03 2. पायम 08 3. संकाय सदय 29 II. अनुसंधान (शोध) काय/नदशका 35 1. काशन 37 2. समेलन म उपिथत/संगोिठय/समेलन म तुत आलेख 66 3. कायशालाएं 101 4. अनुसंधान पुरकार/परयोजनाएं 106 5. समत के सदय/ वशेष (संसाधन) समत के सदय 110 6. संगोिठय/समेलन म तुतीकरण के लए याा अनुदान पाने वाले छा 128 7. दत शोध बंध : पीएच.डी. 129 III. सामुदायक सेवा वतारण 137 1. िजला क योजना (भारत सरकार) 139 2. अ.भा.अंेजी भाषा शण संथान (ईएलटआई) सहयोग योजना (भा.स.) 142 3. अंतराय संबंध 146 4. वदेशी छा 149 5. अंतराय शण कायम (वदेश मंालय) 151 6. अनौपचारक पायम और संसाधन (एनएफसीएआर) 155 7. अखल भारतीय अंेजी भाषा परण ाधकर (एआईईएलटए) 157 Page | iii IV. परसर (कैपस) म सुवधाएँ 159 1. रमेश मोहन पुतकालय 161 2. नयुित कोठ 165 3. दयांग / वकलांग कोठ 166 4. परामश क 167 5. वाय क 168 6. छा कयाण 169 7. भेदभाव वरोधी कोठ (अजा/अजजा कोठ) 174 8. यौन उपीड़न क संवेदनशीलता , रोकथाम और नराकरण (पश) 175 9. अंतराय छाावास/छाावास 180 V. अय 187 1. अतथ गहृ 189 2. तकनीक अवसंरचना 191 3. ईलू मुणालय (ेस) 192 4. शैणक मट -मीड़या अनुसंधान क (ईएमएमआरसी) 194 VI. सांियक 203 1. छा नामांकन/भत 205 2. शैणक वष 2015-16 के दौरान दान क गई उपाधयाँ 206 3. छा ववधता और छा गमन/उनयन 208 Page | iv तावना Page | v Page | vi कु लपत का संदेश परकपना आज हम एक नए शैणक वष क दहलज पर खड़े ह जहाँ हम एक ऐसी नई शुआत करने जा रहे ह जो उच शा म नए -नए आयाम जोड़ने के लए कई अवसर पैदा करगे। म हमारे नए छा और सहभागय का हादक वागत करती हू। आप हमारे इस संथान म नई आकांा और आशाओं के साथ वेश कर रहे ह, ोफेसर सुनैना संह म आपको आवत करना चाहती हूँ क आपके यहाँ का अवथान आपको कु लपत एक अछे ान -कम के प म तैयार करेगा। अंेजी एवं वदेशी भाषा अंेजी एवं वदेशी भाषा वववयालय वववयालय एक नवोदत , वववयालय है लेकन अययन और अयापक शण (शण और शक शण ) दोन म कय अंेजी संथान से लेकर कय अंेजी एवं वदेशी भाषा संथान बनने तक म इसका एक गौरवपूण इतहास रहा है। पंह वष क अवध बीत जाने और कय संथान से कय वववयालय बनने क अवध के बाद , अंेजी एवं वदेशी भाषा वववयालय (ईलू) को हाल ह म राय मूयांकन एवं यायन परषद (नैक ) ने ेड ‘ए’ का दजा दया है (मई 2016) । इससे पहले इस वववयालय को (नैक ) ने वष 2000 म पांच सतारा का दजा दया था। हमार अंतराय यात हमारे छा और संकाय सदय वारा ात कई समान और पुरकार से तबंबत होती है। यह हमारे लए गव क बात है क हमारे छा ने तिठत गेस कज छावितृ , एरसमस ् मनडस छावितृ के साथ - साथ फु लाइट अयेतावितृ पुरकार ात कया है। हमारे संकाय सदय का एमआईट सहत तिठत वदेशी संथान से डॉटरेटोतर (पोट डॉटरल ) पुरकार , रमण छावितृ और फु लाइट पुरकार ात करने का सलसला जार है। यह इस बात का माण है क हमार वशेषता के े म समकालन राय और अंतराय छावितृ ात करने और शोध के काय म हमारा शैणक समुदाय कतना कृ तसंकप है। हम निचत प से मानवक के े म अयापन , शोध और शैक नवाचार क या म पथ दशक के प म उभर कर आ रहे ह और यह हमारे लए अनवाय और आवयक है क हम “वकास और गत ” के नए नए े म आगे बढ़ते रह। संकाय , शोध उनयन और शासनक सुधार , पारदशता , जवाबदेह शासन , उनत छा सुवधाएँ, वितृ तथा संकाय सदय का शैणक समथन व संकाय संचालन म ढ़संकप के मायम से शैण उपलिध के ढ़ नमाण म इस मुख कय वववयालय क नींव को फर से गढ़ने और उसे मजबूती दान करने म पछले चार साल बीत गए ह। वकलांग के लए वकसत यवथा , शोध काय के लए ोसाहन और संकाय सदय वारा छा को परामश देकर उह सय प से ोसाहत करने आद जैसे वववयालय समुदाय के सभी े म हमन अनेक कयाणकार उपाय कए ह। संकाय सदय , गैर -अयापन कमचारय और छा के ववास के बना ऐसा ढ़ नेतवृ दान करना संभव नहं होता। अब समय आ गया है क हम उचतर शण क राय परेखा के अनुप नमाण या को और अधक कत कर और कृ तसंकप के साथ इसे अधक सय कर। हम ठोस नगरानी और मूयांकन णाल , यावहारक शैणक कायावयन योजना और नीतगत याओं को पूर तरह यविथत करने क आवयकता है, ताक हमारे वभन ेीय परसर (लखनऊ एवं शलांग ) के बीच समवय थापत कया जा सके। उचतर अययन क संथा होने के कारण हम राय और वैिवक ान नमाण णाल म हो रहे परवतन और वकास के साथ तालमेल बठाए रखना होगा। ऐसी संथा से परे हम और आगे जाना है जो न केवल ान बाँटती हो बिक साहसी , नवीन और सजनामकृ ान के Page | vii नमाण म मुख थान रखती है। हम अपनी वशेषता के उपयतु े म महवपूण अनुसंधान के अभूतपूव अवेषण म वशेष थान रखते ह। इस के लए हम साझेदार और सहयोग के वकप पर वचार करने क आवयकता होगी। मझेु ववास है क हम यह सब ननलखत साहसक रणनीत अपनाकर पूरा कर सकते ह- • शीष तरय बुनयाद सुवधा • पोट डॉटरल (डॉटरेटोतर ) अंतराय ववान को आमंत करना • पायम का शैणक परण आरंभ करना • अभूतपूव अनुसंधान के लए राय और ववतरय सहयोग का परपोषण • एशया /वव के भाषा और मानवक के े म शीष वववयालय के साथ यूनतम मानदंड तैयार करना। इसका लय हमारे यास को तेज करके हमार ऐसी तठा का नमाण करना है जो अययन के मानक और हमारे अनुसंधान के भावकार कारक के उनयन के लए अनुकू ल वातावरण का सजनृ कर सके। इस लय क ाित के लए हम इस समय क आवयक योजनाओं के साथ -साथ भावी योजनाओं को यान म रखते हुए वततृ योजनाओं क ऐसी महवपूण परेखा बनानी होगी जो आने वाले संबंधत वष के दौरान नीतगत सोच को नया प दे सके। सभी शैणक नेतवृ नवानीृ पीयर द मैरट क इस बात से सहमत हगे िजसम उहने कहा है क “यद वववयालय अपने मूय को खो देता है तो जनता क राय म उसक छव अधक खराब हो जाती है यक वववयालय के दय को ववान समुदाय और बाहर दनयाु से जोड़ने का यह एक साधन है। ” इसीलए मायताएँ और चर नमाण वववयालय क आधारशला होनी ह चाहए। मायताओं वाल ववता के त वचनबता हमारे यास का मं होना आवय क है। अंेजी एवं वदेशी भाषा वववयालय (ईलू) म हम शैणक मायताओं के हत म हमार चुनौतय का साहसक प से सामना करने का सामूहक यास करना होगा। म अपने इस संबोधन का माया एंिजलो क ननलखत उित के बना समात नहं कर सकती यक म ऐसी आशा और आकांाओं के बारे म सोचती हूँ जो हम वकास और गत -पथ पर ले जाने म अनुाणत करती है। इस उित का हंद अनुवाद कु छ ऐसा है- चाँद और सूरज क तरह वार क निचतता क तरह आशाओं क ऊंची छलांग क तरह म भी उठूंगी ...