jftLVªh laö Mhö ,yö&33004@99 REGD. NO. D. L.-33004/99
vlk/kj.k EXTRAORDINARY Hkkx II—[k.M 3—mi&[k.M (ii) PART II—Section 3—Sub-section (ii) izkf/dkj ls izdkf'kr PUBLISHED BY AUTHORITY la- 1382] ubZ fnYyh] lkseokj] ebZ 15] 2017@oS'kk[k 25] 1939 No. 1382] NEW DELHI, MONDAY, MAY 15, 2017/VAISAKHA 25, 1939
पयार्वरण, वन और जलवाय ु पिरवतनर् म ालयं
अिधसचनाू
नई िदल्ली, 15 मई , 2017
का.आ. 1565(अ).—भारत सरकार के पयार्वरण, वन और जलवायु पिरवतर्न मं ालय की अिधसूचना सं. 3105 (अ), तारीख 16 नवम्बर, 2015 ारा भारत ेक राजप , असाधारण म , उन सभी ि य से, िजनके उससे भािवत होने की संभावना थी, उस तारीख से, िजसको उस राजप की ितयां, िजसम यह अिधसूचना अंतिवर् ह,ै जनता को उपलब्ध करा दी गई थी, साठ िदन की अविध ेक भीतर आक्षेप और सुझाव आमंि त करते हुए एक ारुप अिधसूचना कािशत की गई थी;
और, उ ारुप अिधसूचना म अंतिवर् राजप की ितयां तारीख 16 नवम्बर, 2015 को, जनता को उपलब्ध कराई गई थी;
और, उ ारुप अिधसूचना के उ र म सभी ि य और पणधािरय से ा आक्षेप और सुझाव पर के न् ीय सरकार ारा सम्यक रुप से िवचार िकया गया;
और, सागरे र वन्यजीव अभयारण्य (हाल ही म नाम बदलकर यशवंतराव चव्हाण सागरे र वन्यजीव अभयारण्य रखा गया ह)ै जो महारा राज्य े क सांगली िजला म 17º06’35’’´´ उ0 -17º09’40’’´´ उ0 अक्षांश और 74º20’20’’ और 74º24’20’’ ´पू0 दशाे ंतर के बीच अविस्थत ैह और 10.87 वग र् िकलोमीटर क्षे तक फै ला हुआ ह ै ;
और, यशवंतराव चव्हाण सागरे र अभयारण्य ंरक्षकस े क दलु र्भ योगो म स एक ह ै जहाँ संपूणर् अभयारण्य, वनीकरण कायर् म के तहत िबना िकसी बारहमासी जल ोत के िनिमर्त खेती वन ह;ै
3157 GI/2017 (1)
2 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(ii)]
और, अभयारण्य म पाए गए वन के कार जो दिक्षणीुष्क श िमि त पणर्पाती के रूप म ह ै और घास के मैदान से ढके हुए पहाड़ी ढलान े क साथ दिक्षणी कांटेदार वन ह;
और, अभयारण्य िक ज्यादातर वन्यजीव जाित को 1980 म कृ ि म रुप से लाया गया ह ै और मुख्य वन्य पशु म काला िहरण (एंटेलोप किवर्कापरा), भेिडया (कै िनस लूपास पिल्लप्स), िसयार (कै िनस ऑिरयस), चीतल (एिक्सस एिक्सस), सांभर (सवुर्स यूनीक्लोर), जंगली सुअर (सस स् ोफ़ा), साही (हाइिरि क्स ंिडकाइ ) सिम्मलत ह;ै
और, टीक (टेक्टोना िडस), त द ु (डायिस्परोस ेमलानॉिक्सयालोन), िससो (डाल्बिगर्या िससो), एगेवे (एगेवा अमेिरकाना), खैर (अगािकया कै टेचु), करंज (प गािमया िप ाटा), बीबा (सेमेकरपस एनकाडर्म), आमला (एमिब्लका ऑिफिसनािलस), ऐन (टिमर्निलया टेम टोसा) अप्टा (बहुिनया िरसेमोसा), िचंच (तामारइंडस इंिडका) आिद;
और, इस क्षे का पिररक्षण और संरक्षण करना आवश्यक है तथा िजसकी सीमा के क्षे और चौह ी को इस अिधसूचना के पैरा 1 म यशवंतराव चव्हाण सागरे र वन्यजीव अभयारण्ये क संरिक्षत क्षे के चार ओर पािरिस्थितक और पयार्वरण की दि ृ से पािरिस्थितक संवेदी जोन के रूप म िविन द र् िकया गया ह ै और उ ोग या उ ोग के वग को तथा उनकी संि या और ि या को उ पािरिस्थितक संवेदी जोन म ितिष करना ह ै ;
अतः अब, के न् ीय सरकार, पयार्वरण (संरक्षण) िनयम, 1986े क िनयम 5 के उपिनयम (3) और पयार्वरण (संरक्षण) अिधिनयम, 1986 (1986 का 29) की धारा 3 की उपधारा (2)े क खंड (v) और खंड (xiv) और उपधारा (3) के साथ पिठत उपधारा (1) ारा द शि य का योग करते हुए, महारा राज्य म यशवंतराव चव्हाण सागरे र वन्यजीव अभयारण्य की सीमा से 100 मीटर के िवस्तार े क क्षे को यशवंतराव चव्हाण सागरे र वन्यजीव अभयारण्य पािरिस्थितक संवेदी जोन (िजसे इसम इसके प ात् पािरिस्थितक ंवस ेदी जोन कहा गया ह)ै के रूप म अिधसूिचत करती ह,ै िजसका िववरण िन ानुसार ह,ै अथार्त् :-
1. पािरिस्थितक सवं दीे जोन का िवस्तार और उसकी सीमाएं--(1) पािरिस्थितक संवेदी जोन यशवंतराव चव्हाण सागरे र वन्यजीव अभयारण्य की सीमाे स 100 मीटर तक फै ला हुआ है । िजसका िवस्तार 3.68 वगर् िकलोमीटर ह ै ।
(2) पािरिस्थितक संवेदी जोन के साथ संरिक्षत क्षे का मानिच उपाबंध I क और उपाबधं ख के रूप म उपाब ह ै ।
(3) पािरिस्थितक संवेदी जोन अक्षांश और दशाे ंतर के साथ उपाबधं II के रुप म संल ह।ै
(4) महारा राज्य े क िजला सांगली के पािरिस्थितक सवं ेदी जोन के अंतगर्त आने वाले ाम की सूची उपाबधं III के रुप म संल ह।ै
2. पािरिस्थितक सवं ेदी जोन के िलए आंचिलक महायोजना – (1) राज्य सरकार, पािरिस्थितक संवेदी जोन के योजन के िलए राजप म इस अिधसूचना के काशन की तारीख से दो वषर् की अविध के भीतर, स्थानीय ि य के परामशर् से और इस अिधसूचना म संलग्न अनुबंध के सामंजस्य से और राज्य सरकार म सक्षम ािधकारीे क अनुमोदन से आंचिलक महायोजना तैयार करेगी । ¹Hkkx IIμ[k.M 3(ii)º Hkkjr dk jkti=k % vlk/kj.k 3
(2) राज्य सरकार ारा पािरिस्थितक संवेदी जोन के िलए आचंिलक महायोजना इस रीित म, इस अिधसूचना म िविन दष्र् ट रूप तथा सु गतं क ीय और राज्य िविधय के सामंजस्य और क ीय सरकार ारा जारी मागर्िनद श , यिद कोई ह , ारा तैयार होगी । (3) आंचिलक महायोजना, पयार्वरणीय और पािरिस्थितक िवचार को समाकिलत करने के िलए राज्य सरकार के सभी संब िवभाग के परामशर् से तैयार होगी, अथार्त्:-- (i) पयार्वरण; (ii) वन और वन्यजीव; (iii) कृ िष ; (iv) राजस्व; (v) नगर िवकास; (vi) पयर्टन; (vii) ामीण िवकास; (viii) िसंचाई और बाढ़ िनयं ण; (ix) नगरपािलका; (x) पंचायती राज; (xi) लोक िन मार्ण िव भाग।
(4) आंचिलक महायोजना अनुमोिदत िव मान भू-उपयोग, अवसंरचना और ि याकलाप पर कोई िनब धन अिधरोिपत नह करेगी जब तक िक इस अिधसूचना म िविन दष्र् ट न हो और आचंिलक महायोजना सभी अवसंरचना और ि याकलाप म और अिधक दक्षता और पािरिस्थितक अनुकू लता का संवधर्न करेगी ।
(5) आंचिलक महायोजना म अनाच्छािदत क्षे के जीण ार, िव मान जल िनकाय के संरक्षण, आवाह क्षे के बंधन, जल-संभर के बंधन, भूतल जल के बंधन, मृदा और नमी संरक्षण, स्थानीय समुदाय की आवश्यकता तथा पािरिस्थितक और पयार्वरण स े सबं ंिधत ऐस े अन्य पहलू , िजन पर ध्यान दनाे आवश्यक ह,ै के िलए उपबंध ह ग े ।
(6) आंचिलक महायोजना सभी िव मान पूजा स्थल , ाम और नगरीय बंदोबस्त , वन े क कार और िकस्म , कृ िष क्षे , ऊपजाऊ भूिम, हिरत क्षे जैसे उ ान और उसी कार के स्थान, उ ान कृ िष क्षे , फलोउ ान, झील और अन्य जल िनकाय का अभ्यकं न करेगी और इस योजना के मानिच ारा िव मान और स्तािवत भिमू के उपयोग का िववरण िकया जाएगा ।
(7) आंचिलक महायोजना स्थानीय समुदाय की जीवकोपाजर्न को सुिनिश्चत करने के िलए, पािरिस्थितक संवेदी जोन म िवकास को पािरिस्थितक अनुकू ल िवकास के िलए िविनयिमत करेगी ।
(8) आंचिलक महायोजना इस अिधसूचना म िदए गए उपबंध के संबंध म अपने काय के बाहर ले जाने के िलए मानीटरी सिमित के िलए एक संदभर् दस्तावेज तैयार करेगी ।
3. राज्य सरकार ारा िकए जान े वाले उपाय-- राज्य सरकार इस अिधसूचना के उपबंध को भावी करने के िलए िन िलिखत उपाय करेगी, अथार्त् :--
(1) भ-उपयोगू - पािरिस्थितक संवेदी जोन म वन , उ ान-कृ िष क्षे , कृ िष क्षे , आमोद- मोद के योजन के िलए िचिन्हत िकए गए पाक और ुलख े स्थान का वािणिज्यक और औ ोिगक संब िवकास ि याकलाप के िलए 4 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(ii)]
उपयोग या संपिरवतर्न नह होगा। :
परंतु पािरिस्थितक ंवस ेदी जोन के भीतर कृ िष भूिम का संपिरवतर्न मानीटरी सिमित की िसफािरश पर और राज्य सरकार े क पूवर् अनुमोदन स,े राज्य सरकार े क अन्य िनयम और िविनयम े क रूप म लागू ह गे, जो स्थानीय िनवािसय की आवासीय जरूरत को पूरा करने के िलए ह,ै अथार्त् :-
(i) िव मान सड़क को चौड़ा करना और उन्ह सुदढ़ृ करना तथा नई सड़क का सिनमां र्ण;
(ii) बुिनयादी ढांच और नागिरक सुिवधा का संिनमार्ण और नवीकरण; (iii) दषणू उत्प न करन े वाले लघ ु उ ोग; (iv) कु टीर उ ोग िजसके अंतगर्त ामीण कारीगर ह; सुिवधाजनक भण्डार और स्थानीय सुिवधा सहायक पािरिस्थितक पयर्टन म सिम्मिलत ह वास; और (v) संविधर्त ि याकलाप पैरा 4 के अधीन : परंतु यह और भी िक राज्य सरकार े क पूवर् अनुमोदन तथा संिवधान के अनुच्छेद 244 और तत्समय वृ िविध के उपबंध के अनुपालन के िबना, िजसके अंतगर्त अनुसूिचत जनजाित और अन्य परंपरागत वन िनवासी (वन अिधकार की मान्यता) अिधिनयम, 2006 (2007 का 2) भी ह,ै वािणिज्यक या उ ोग िवकास ि याकलाप ेक िलए जनजातीय भूिम का उपयोग अनुज्ञात नह होगा :
परंतु यह और भी िक पािरिस्थितक संवेदी जोन के भीतर भू-अिभलेख म उपसंजात कोई ुिट मानीटरी सिमित के िवचार ा करने के प ात् राज्य सरकार ारा त्येक मामले म सशोिधतं होगी और उ ुिट के संशोधन की के न् ीय सरकार े क पयार्वरण, वन और जलवायु पिरवतर्न मं ालय को सूचना दनीे होगी ।
परंतु यह और भी िक उपयुर् ुिट का सशोधनं म इस उप पैरा के अधीन यथा उपबंिधत के िसवाय िकसी भी दशा म भू-उपयोग का पिरवतर्न सिम्मिलत नह होगा :
परंतु यह और भी िक हिरत क्षे म जैसे वन क्षे , कृ िष क्षे आिद म कोई पािरणािमक कटौती नह होगी और अन युक्त या अनुत्पादक कृ िष क्षे म पुन: वनीकरण करने के यास िकए जाएंगे ।
(2) ाकृ ितक जल ोत -- आचंिलक महायोजना म सभी ाकृ ितक जल ोत की पहचान की जाएगी और उनके संरक्षण और पुनरुद्भूतकरण के िलए योजना सिम्मिलत होगी और राज्य सरकार ारा ऐसे क्षे पर या उनके िनकट िवकास ि याकलाप ितिष करने के िलए ऐसी रीित से मागर्िनदश तैयार िकए जाएंगे ।
(3) पयटनर् – (क) पािरिस्थितक संवेदी जोन के भीतर पयर्टन संबंधी ि याकलाप पयर्टन महायोजना के अनुसार ह गे जो िक आंचिलक महायोजना के भाग रूप म होगी । (ख) पयर्टन महायोजना पयर्टन िवभाग, ारा पयार्वरण और वन िवभाग के परामशर् से तैयार होगी । (ग) पयर्टन महायोजना आंचिलक महायोजना के एक घटक के रूप म जाना जायेगा । (घ) पयर्टन सबं ंधी ि याकलाप िनम्निलिखत के अधीन िविनयिमत ह गे, अथार्त् :-
(i) यशवंतराव चव्हाण सागरे र वन्यजीव अभयारण्य की सीमा से एक िकलोमीटर तक या पािरिस्थितक संवेदी जोन के िवस्तार तक इनम जो भी िनकट है, नये वािणिज्यक होटल और िरसोटर् अनुज्ञात नह ह गे। परंतु, जहाँ पािरिस्थितक ंवस ेदी जोन का िवस्तार एक िकलोमीटर से ज्यादा ैह वहाँ, एक िकलोमीटर से परे और पािरिस्थितक संवेदी जोन के िवस्तार तक सभी नए पयर्टक ि याकलाप या िव मान ि याकलाप का िवस्तार पयर्टन महायोजना के अनुसार होगा; ¹Hkkx IIμ[k.M 3(ii)º Hkkjr dk jkti=k % vlk/kj.k 5
(ii) पािरिस्थितक संवेदी जोन के भीतर सभी नए पयर्टन ि याकलाप या िव मान पयर्टन ि याकलाप का िवस्तार े किन् य सरकार े क पयार्वरण, वन और जलवायु पिरवतर्न मं ालय के मागर्दशर्क िस ांत के ारा तथा राष् ीय व्या संरक्षण ािधकरण, ारा जारी पािरिस्थितक पयर्टन (समय-समय पर यथा संशोिधत) मागर्दशर्क िस ांत के अनुसार, पािरिस्थितक पयर्टन, पािरिस्थितक िशक्षा और पािरिस्थितक िवकास को महत्व दते े हुए पािरिस्थितक संवेदी जोन की वहन क्षमताे क अध्ययन पर आधािरत होगा; (iii) आंचिलक महायोजना का अनुमोदन िकए जाने तक, पयर्टन के िलए िवकास और िव मान पयर्टन ि याकलाप के िवस्तार को वास्तिवक स्थल िविन द र् संवीक्षा तथा मानीटरी सिमित की िसफािरश पर आधािरत संबंिधत िविनयामक ािधकरण ारा अनुज्ञात िकया होगा ।
(4) नसिगै र्क िवरासत -- पािरिस्थितक ंवस ेदी जोन म महत्वपूणर् नैसिगर्क िवरासत के सभी स्थल जैसे सभी जीन कोश आरिक्षत क्षे , शैल िवरचनाएं, जल पात , झरन , घाटी माग , उपवन , गुफाएं, स्थल , मण, अ रोहण, पात आिद की पहचान की जाएगी और िवरासत संरक्षण योजना आंचिलक महायोजना के भाग के रुप म उनके पिररक्षण तथा संरक्षणे क िलए तैयार की जाएगी ।
(5) मानव िनिमतर् िवरासत स्थल - पािरिस्थितक संवेदी जोन म भवन , संरचना , िशल्प-तथ्य, ऐितहािसक, कलात्मक और सांस्कृ ितक महत्व े क क्षे की पहचान भी होगी और उनके संरक्षणे क िलए िवरासत संरक्षण योजना आंचिलक महायोजना के भाग के रुप म तैयार की जाएगी । (6) ध्विन दषणू -- पािरिस्थितक संवेदी जोन म ध्विन दषणू के िनयं ण के िलए राज्य सरकार का पयार्वरण िवभाग या राज्य दषणू िनयं ण बोडर् ध्विन दषणू (िविनयमन और िनयं ण) िनयम के अनुसार पयार्वरणीय (संरक्षण) अिधिनयम, 1986, 2000 अंतगर्त तैयार करेगा ।
(7) वाय ु दषणू -- पािरिस्थितक संवेदी जोन म , वायु दषणू के िनयं ण के िलए राज्य सरकार का पयार्वरण िवभाग या राज्य दषणू िनयं ण बोडर् वायु ( दषणू िनवारण और िनयं ण) अिधिनयम, 1981 (1981 का 14) और उसके अधीन बनाए गए िनयम के उपबंध के अनुसार म मागर्दशर्क िस ांत और िविनयम तैयार करेगा ।
(8) बिह ाव का िनस्सारण -- पािरिस्थितक ंवस ेदी जोन म उपचािरत बिह ाव का िनस्सारण सामान्य मानक े क िलए पयार्वरणीय दिषतू आच्छािदत े क िनस्सारण े क अंतगर्त पयार्वरणीय (संरक्षण) अिधिनयम, 1986 और उसके अधीन बनाए गए िनयम के उपबंध के अनुसार होगा।
(9) ठोस अपिश -- ठोस अपिश का िनपटान िन िलिखत रूप म होगा--
(i) पािरिस्थितक संवेदी जोन म उपचािरत बिह ाव का िनस्सारण, समय-समय पर संशोिधत ठोस अपिशष्ट बधनं िनयम, 2016, जो भारत सरकार के पयार्वरण, वन और जलवायु पिरवतर्न मं ालय की अिधसूचना सं. का.आ. 1357(अ), तारीख 8 अ ैल, 2016 ारा कािशत िकए गए थे, के उपबंध के अनुसार िकया जाएगा ;
(ii) स्थानीय ािधकरण जैव िन ीकरणीय और अजैव िन ीकरणीय संघटक म ठोस अपिश के संपृथ न के िलए योजनाएं तैयार कर ग े ;
(iii) जैव िन ीकरणीय साम ी को अिधमानतः खाद बनाकर या कृ िम खेती के माध्यम ेस पुनःचि त िकया जाएगा ; 6 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(ii)]
(iv) अकाबर्िनक साम ी का िनपटान पािरिस्थितक संवेदी जोन के बाहर पहचान िकए गए स्थल पर िकसी पयार्वरणीय स्वीकृ त रीित म होगा और पािरिस्थितक संवेदी जोन म ठोस अपिशष्ट को जलाना या भष्मीकरण अनुज्ञात नह होगा।
(10) जैव िचिकत्सीय अपिशष्ट - पािरिस्थितक संवेदी जोन म जैव िचिकत्सीय अपिश का िनपटान भारत सरकार के पयार्वरण, वन और जलवायु पिरवतर्न मं ालय की समय-समय पर यथासंशोिधत अिधसूचना जी.एस. आर 343 (अ) तारीख 28 माचर् 2016 ारा कािशत जैव िचिकत्सीय अपिश बंध िनयम, 2016 के उपबंध के अनुसार िकया जाएगा ।
(11) प्लािस्टक अपिश बंधन: - पािरिस्थितक संवेदी जोन म प्लािस्टक अपिश बंध का िनपटान भारत सरकार के पयार्वरण, वन और जलवायु पिरवतर्न मं ालय की अिधसूचना सं.का.िन 340(अ), तारीख 18 माचर्, 2016 ारा कािशत प्लािस्टक अपिश बंध िनयम 2016 के उपबंध के अनुसार िकया जाएगा।
(12) िनमाणर् और िवध्वसं अपिश बंधन: - पािरिस्थितक ंवस ेदी जोन म संिनमार्ण और िवध्वसं अपिश बंध का िनपटान भारत सरकार के पयार्वरण, वन और जलवायु पिरवतर्न मं ालय की अिधसूचना सं.का.िन 317(अ), तारीख 29 माचर्, 2016 ारा कािशत संिनमार्ण और िवध्वंस बंध िनयम, 2016 के उपबंध के अनुसार िकया जाएगा। (13) यानीय यातायात- पिरवहन की यानीय गितिविधयां आवास के अनुकू ल िविनयिमत ह गी और इस संबंध म आंचिलक महायोजना म िवशेष उपबंध अिधकिथत िकए जाएंगे और आंचिलक महायोजना के तैयार होने और राज्य सरकार के सक्षम ािधकारीे क ारा अनुमोिदत होने तक, मानीटरी सिमित वृ िनयम और िविनयम के अनुसार यानीय गितिविधय के अनुपालन को मानीटर करेगी ।
(14) औ ोिगक इकाईयां - (i) राजप म इस अिधसूचना के काशन के प ात या काशन म , पािरिस्थितक संवेदी जोन के भीतर कोई नए दिषतू उ ोग की स्थापना की अनुज्ञा नह दी जाएगी।
(ii) पािरिस्थितक संवेदी जोन के क ीय दषणू बोडर् के वग करण के भीतर िसफर् गैर- दिषतू उ ोग की स्थापना की अनुज्ञा दी जाएगी।
(15) पहाड़ी ढलान को सरक्षण:ं - पहाड़ी ढलान के संरक्षणे क अंतगर्त:
(क) आंचिलक महायोजना पहाड़ी ढलान पर क्षे का संके त होगा जहां िकसी भी संिनमार्ण की अनुज्ञा नह दी जाएगी । (ख)कटाव के एक उ िड ी के साथ िव मान खड़ी पहाड़ी ढलान या ढलान पर िकसी भी संिनमार्ण की अनुज्ञा नह दी जाएगी ।
(16) यिद यह आवश्यक समझता ,ै ह इस अिधसूचना के उपाबंध को वृत करने म क ीय सरकार और राज्य सरकार, अन्य उपाय िन द र् करेगा।
4. पािरिस्थितक सवं दीे जोन म ितिष और िविनयिमत ि याकलाप की सचीू - पािरिस्थितक संवेदी जोन म सभी ि याकलाप पयार्वरण (संरक्षण) अिधिनयम, 1986 (1986 का 29)े क उपबंध और इसके अध्यधीन बनाए गए िनयम ारा शािसत ह गे और नीचे दी गई तािलका म िविन द र् रीित म िविनयिमत ह गे, अथार्त् :--
¹Hkkx IIμ[k.M 3(ii)º Hkkjr dk jkti=k % vlk/kj.k 7
सारणी म स.ं ि याकलाप टीका-िटप्पणी 1 2 3 ितिष ि याकलाप
1. वािणिज्यक खनन, पत्थर की खदान, (क) सभी कार के खनन (लघु और वृहत खिनज), पत्थर उनको तोड़ने की इकाइयां । की खान और उनको तोड़ने की इकाइयां वास्तिवक स्थानीय िनवािसय की े घरलू आवश्यकता िजसम िनजी उपयोग के िलए के िलए मकान के संिनमार्ण या मरम्मत े क िलए धरती को खोदना और मकान बनाने के िलए दशीे टाइल्स या ईंट का िनमार्ण करना भी सिम्मिलत ह,ै के िसवाय नह ह गी ;
(ख) खनन संि याएं, माननीय उ तम न्यायालय की िरट यािचका (िसिवल) सं. 1995 का 202 टी.एन. गौडाबमर्न िथरुमूलपाद बनाम भारत सरकार के मामले म आदशे तारीख 4 अगस्त, 2006 और िरट यािचका (सी) सं. 2012 का 435 गोवा फाउंडेशन बनाम भारत सरकार के मामले म तारीख 21 अ ैल, 2014 के अंतिरम आदशे के अनुसरण म सवर्दा चालन होगा । 2. आरा िमल की स्थापना । पािरिस्थितक संवेदी जोन के भीतर नई और िव मान आरा िमल का िवस्तार अनुज्ञात नह होगा । 3. जल या वायु या मृदा या ध्व िन दषणू पािरिस्थितक संवेदी जोन के भीतर नए और िव मान कािरत करने वाले उ ोग की स्थापना । दषणू कािरत करने वाले उ ोग का िवस्तार अनुज्ञात नह होगा । 4. नए बृहत जल िव तु पिरयोजना और लागू िविधय के अनुसार ितिष (अन्य था उपबंिधत के िसचाईं पिरयोजना का स्थापन । िसवाय) ह गे । 5. िकसी पिरसंकटमय पदाथ का उपयोग या लागू िविधय के अनुसार ितिष (अन्यथा उपबंिधत के उत्पादन । िसवाय) ह गे । 6. ाकृ ितक जल िनकाय या सतही क्षे म लागू िविधय के अनुसार ितिष (अन्यथा उपबंिधत के अनुपचािरत बिह ार्व और ठोस अपिश िसवाय) ह गे । का िनस्सारण । 7. नए काष्ठ आधािरत उ ोग। पािरिस्थितक संवेदी जोन की सीमा के भीतर नए काष्ठ आधािरत उ ोग की स्थापना को अनुज्ञात नह िकया जाएगा : परंतु िव मान का -आधािरत उ ोग िविध के अनुसार बने रहग े । 8. फम , कॉप रेट, कं पिनय ारा बड़े पैमाने स्थानीय जरूरत को पूरा करने के िलए लागू िविधय के पर वािणिज्यक पशुधन संपदा और कु क्कु ट अनुसार ितिष (अन्यथा उपबंिधत के िसवाय) ह गे । फाम की स्थापना । 8 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(ii)]
9. ईंट भ की स्थापना करना। लागू िविधय के अनुसार ितिष (अन्यथा उपबंिधत के िसवाय) ह गे । िविनयिमत ि याकलाप 10. होटल और िरसोट का स्थापना । पािरिस्थितक पयर्टन ि याकलाप संबंधी पयर्टक की लघु संरचना के िलए संरिक्षत क्षे की सीमा से एक िकलोमीटर तक या पािरिस्थितक संवेदी जोन के िवस्तार तक, इनम जो भी िनकट ह,ै नए वािणिज्यक होटल और िरसोटर् अनुज्ञात ह गे, अन्यथा नह ।
परंतु, जहाँ पािरिस्थितक संवेदी जोन का िवस्तार एक िकलोमीटर से ज्यादा ैह वहाँ, एक िकलोमीटर से परे और पािरिस्थितक संवेदी जोन के िवस्तार तक सभी नए पयर्टक ि याकलाप या िव मान ि याकलाप का िवस्तार पयर्टन महायोजना और यथा लागू मागर्दश िस ांत के अनुरुप होगा। 11. सिनमां र्ण ि याकलाप । (क) सरिक्षतं े क्ष या पािरिस्थितक संवेदी जोन के िवस्तार, इनम से जो भी नजदीक हो, से 1 िकलोमीटर के भीतर नए वािणिज्यक ंिनमास र्ण को अनुज्ञात नह िकया जाएगा:
परंतु स्थानीय ि य को उनके आवासीय उपयोग के िलए उनकी भूिम म संिनमार्ण िजसके अंतगर्त पैरा 3 के उपपैरा (1) म सूचीब ि याकलाप भी ह, को करने के िलए अनुज्ञात िकया जाएगा :
(ख) ऐसे लघु उ ोग जो दषणू उत्पन् न नह करते ह, से संबंिधत संिनमार्ण ि याकलाप िविनयिमत िकए जाएंगे और लागू िनयम और िविनयम , यिद कोई ह , के अनुसार सक्षम ािधकारी की पूवर् अनुमित से ही न्य ूनतम पर रखा जाएगा । 12. भू-जल का िनष्क षर्ण । लागू िविधय के अधीन स्थानीय लोग के पीने का पानी या कृ िष की आवश्यकता को पूरा करने के िलए िविनयिमत ह गे। 13. वृक्ष की कटाई । (क) राज्य सरकार म सक्षम ािधकारी कीूव प र् अनुमित के िबना वन, सरकारी या राजस्व या िनजी भूिम पर या वन म िकन्ही वृक्ष की कटाई नह होगी । (ख) वृक्ष की कटाई संबंिधत क ीय या राज्य अिधिनयम या उसके अधीन बनाए गए िनयम के उपबंध के अनुसार िविनयिमत होगी । 14. िव ुत और दरसू ंचार टावर और िबछाई लागू िविधय के अधीन िविनयिमत ह गे (भूिमगत के बल गई के बल और अन्य बुिनयादी ढाँच का को ोत्सािहत िकया जा सके गा) । पिरिनमार्ण । ¹Hkkx IIμ[k.M 3(ii)º Hkkjr dk jkti=k % vlk/kj.k 9
15. नागिरक सुिवधा सिहत बुिनयादी ढांचे। लागू िविधय के अनुसार न्यूनीकरण की उपाय के साथ, िनयम और िविनयमन और उपलब्ध िदशािनदश िविनयिमत ह गे। 16. िव मान सड़क को चौड़ा करना और लागू िविधय के अनुसार न्यूनीकरण की उपाय के साथ, उन्ह सुदढृ करना । िनयम और िविनयमन और उपलब्ध िदशािनदश िविनयिमत ह गे। 17. राि म यािनक यातायात का संचलन । लागू िविधय के अधीन वािणिज्यक योजन े क िलए िविनयिमत ह गे । 18. िवदशीे जाितय को लाना । लागू िविधय के अधीन िविनयिमत ह गे । 19. पोिलथीन थैल का उपयोग । लागू िविधय के अधीन िविनयिमत ह गे । 20. पहाड़ी ढाल और नदी तट का संरक्षण । लागू िविधय के अधीन िविनयिमत ह गे । 21. ाकृ ितक जल िनकाय या सतही क्षे म उपचािरत बिह ार्व के पुनचर् ण को ोत्सािहत करना उपचािरत बिह ार्व का िनस्सारण । और अवमल या ठोस अपिश के िनपटान के िलए िव मान िविनयम का अनुपालन करना होगा । 22. वािणिज्य क साइनबोडर् और होिड ग। लागू िविधय के अधीन िविनयिमत ह गे । 23. दषू ण उत्प न करने वाले लघु उ ोग । पािरिस्थितक संवेदी जोन स े गैर दषण,ू गैर पिरसंकटमय, लघु और सेवा उ ोग, कृ िष उ ान, कृ िष या कृ िष आधािरत दशीये माल स े औ ोिगक उत्पाद का उत्पादन उ ोग और जो पयार्वरण पर कोई िवपरीत भाव नह डालते ह, अनुज्ञात िकए जाएंगे । 24. वन उत्पाद और गैर का वन उत्पाद का लागू िविधय के अधीन िविनयिमत ह गे । सं हण (एन.टी.एफ.पी.) । 25. वायु और यानीय दषण।ू लागू िविधय के अधीन िविनयिमत ह गे । 26. ध्विन दषण।ू पयार्वरण (सरक्षण)ं अिधिनयम 1986े क अधीन ध्विन दषणू (िविनयमन और िनयं ण) िनयम, 2000 म िनयत उपबंध के अनुसार म पािरिस्थितक संवेदी जोन म ध्विन दषणू के िनयं ण के िलए िविनयम को कायार्िन्वत करेगा । 27. खुले कु आ, बोर कु आ, आिद के िलए कृ िष लागू िविधय के अधीन िविनयिमत ह गे और िविनयिमत और अन्य उपयोग । और उपयु ािधकारी ारा ि याकलाप की सख्ती से िनगरानी की जाएगी। 28. ठोस अपिश बंधन । ठोस अपिश बंधन िनयम, पयार्वरण (संरक्षण) अिधिनयम, 1986 के अधीन ठोस अपिश बंधन िनयम 2016 के उपाबंध के अनुसार होगा। 29. पािरिस्थितक-पयर्टन। लागू िविधय के अधीन िविनयिमत ह गे । 30. पािरिस्थितक-पयर्टन से संबंिधत लागू िविधय के अधीन िविनयिमत ह गे । ि याकलाप जैसे गमर् वायु गुब्बार , ोन, आिद ारा वन्यजीव अभयारण्य क्षे के ऊपर से उड़ना जैसे ि याकलाप करना। सविधं तर् ि यािकलाप 31. स्थानीय समुदाय ारा चल रही कृ िष सि य रूप से बढ़ावा िदया जाए । 10 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(ii)]
और बागवानी था के साथ दग्धशाला,ु डेयरी उ ोग, ए ाकल्चर और मत्स्य पालन। 32. जैिवक खेती । सि य रूप ेस बढ़ावा िदया जाए । 33. सभी गितिविधय के िलए हिरत सि य रूप से बढ़ावा िदया जाए । ौ ोिगकी को हण करना । 34. कु टीर उ ोग िजसके अंतगर्त ामीण सि य रूप ेस बढ़ावा िदया जाए । कारीगर आिद भी ह । 35. वषार् जल संचयन । सि य रूप ेस बढ़ावा िदया जाए । 36. नवीकरणीय ऊजार् ोत का उपयोग । सि य रूप ेस बढ़ावा िदया जाए । 37. कृ िष वािनकी। सि य रूप से बढ़ावा िदया जाएगा । 38. पयार्वरणीय जागरुकता । सि य रूप से बढ़ावा िदया जाएगा । 39. कौशल िवकास। सि य रूप से बढ़ावा िदया जाएगा । 40. िनि कृ त भूिम या जंगल या वास की सि य रूप से बढ़ावा िदया जाएगा । बहाली।
5. मानीटरी सिमित - क ीय सरकार के ारा, पयार्वरण (संरक्षण) अिधिनयम, 1986 की धारा 3 की उप-धारा (3) के अधीन इस अिधसूचना के उपबंध की भावी िनगरानी के िलए एक िनगरानी सिमित का गठन िकया गया, जो िन िलिखत स े िमलकर बनेगी, अथार्त्:--
(क) िजला कलक्टर, यवतमाल – सांगली- अध्यक्ष;
(ख) गैर सरकारी संगठन का एक ितिनिध जो पयार्वरण (िवरासत संरक्षण सिहत)े क क्षे म कायर् कर रहा है, िजसे महारा सरकार ारा त्येक मामले म तीन वषर् की अविध के िलए नाम िन द र् िकया जाएगा – सदस्य;
(ग) पािरिस्थितक और पयार्वरण के क्षे म एक िवशेषज्ञ िजसे महारा सरकार ारा त्येक मामले म तीन वषर् की अविध के िलए नाम िन द र् िकया जाएगा - सदस्य;
(घ) क्षे ीय अिधकारी, महारा राज्य दषणू िनयं ण बोडर् - सदस्य;
(ङ) क्षे का ज्ये नगर योजनाकार – सदस्य;
(च) महारा सरकार के पयार्वरण िवभाग का ितिनिध – सदस्य;
(छ) राज्य ैवज िविवधता बोडर् के सदस्य – सदस्य;
(ज) भागीय वन अिधकारी, सांगली – सदस्य सिचव ।
6. िनदश िनबंधन
(1) मानीटरी सिमित इस अिधसूचना के उपबंध के अनुपालन को मानीटर करेगी ।
(2) सिमित का कायर्काल तीन वषर् की अविध के िलए िकया जाएगा।
(3) पािरिस्थितक संवेदी जोन म भारत सरकार के तत्कालीन पयार्वरण और वन मं ालय की अिधसूचना सं. का.आ. 1533(अ) तारीख 14 िसतंबर, 2006 की अनुसूची म सिम्मिलत ि याकलाप और इस अिधसूचना के पैरा ¹Hkkx IIμ[k.M 3(ii)º Hkkjr dk jkti=k % vlk/kj.k 11
4 सारणी म िविन द र् ितिष गितिविधय के िसवाय आने वाले ऐस े ि याकलाप की दशा म वास्तिवक िविन द र् स्थलीय दशा पर आधािरत मानीटरी सिमित ारा संवीक्षा की जाएगी और उ अिधसूचना के उपबंध के अधीन पूवर् पयार्वरण िनकासी के िलए के न् ीय सरकार े क पयार्वरण, वन और जलवायु पिरवतर्न मं ालय को िन द र् की जाएगी। के न् ीय दषणू िनयं ण बोडर् ारा "उ ोग का वग करण, 2016" के िलए जारी िदशािनदश म िसफर् उ ोग के ेत ेिणय के िलए िन द र् िकया जाएगा।
(4) इस अिधसूचना के पैरा 4 के अधीन सारणी म यथा-िविन द र् ितिष ि याकलाप के िसवाय, भारत सरकार के पयार्वरण और वन मं ालय की अिधसूचना संख्यांक का.आ. 1533(अ) तारीख 14 िसतंबर, 2006 की अिधसूचना के अनुसूची के अधीन ऐसे ि याकलाप , िजन्ह सिम्मिलत नह िकया गया ,ैह परंतु पािरिस्थितक वंस ेदी जोन म आते ह, ऐस े ि याकलाप की वास्तिवक िविन द र् स्थलीय दशा पर आधािरत मानीटरी सिमित ारा संवीक्षा की जाएगी और उस े संब िविनयामक ािधकरण को िन द र् िकया जाएगा ।
(5) मानीटरी सिमित का सदस्य-सिचव या संबंिधत कलक्टर या संबंिधत उ ान के उप-वन संरक्षक, कोई ि जो इस अिधसूचना के िकसी उपबंध का उल्लंघन करता ह,ै उसके िवरु पयार्वरण (सरक्षण)ं अिधिनयम, 1986 की धारा 19 के अधीन पिरवाद फाइल करने के िलए सक्षम होगा ।
(6) मानीटरी सिमित मु के आधार पर अपेक्षा पर िनभर्र रहते हुए ंब स िवभाग के ितिनिधय या िवशेषज्ञ , औ ोिगक संगम या संब पणधािरय के ितिनिध ित मु े की अपेक्षा े क अनुसार िवचार-िवमशर् म सहायता के िलए आमंि त कर सके गी ।
(7) मानीटरी सिमित त्येक वषर् की 31 माचर् तक की राज्य े क मुख्य वन्यजीव वाडर्न को अपनी वािषर्क कारर्वाई िरपोटर् उपाबधं IV पर उपाब ारूप पर 30 जून तक स्तुत करेगी ।
(8) के न् ीय सरकार का पयार्वरण, वन और जलवायु पिरवतर्न मं ालय मानीटरी सिमित को अपने कृ त्य े क भावी िनवर्हन के िलए समय-समय पर ऐस े िनदशे द े सके गा, जो वह ठीक समझे ।
7. इस अिधसूचना के उपबंध को भाव देने के िलए क ीय सरकार और राज्य सरकार अितिरक्त उपाय, यिद कोई ह , िविन दष्र् ट कर सक गे । 8. इस अिधसूचना के उपबंध भारत के माननीय उ तम न्यायालय या उ न्यायालय या राष् ीय हिरत ािधकरण ारा पािरत कोई आदशे या पािरत होने वाले िकसी आदश,े यिद कोई ह , के अधीन ह गे ।
[फा. स.ं 25/115/2015-ईएसजेडआरई]
लिलत कपूर, वैज्ञािनक ‘जी’
12 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(ii)]
उपाबधं Iक
यशवंतराव चव्हाण सागरे र वन्यजीव अभयारण्ये क साथ स्तािवत पािरिस्थितक संवेदी जोन का मानिच
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उपाबधं Iख
भारत के सव क्षणे क अनुसार भारत के सव क्षे , पािरिस्थितक संवेदी जोन और आस-पास क्षे के िलए 7-10 िकमी तक भूिम उपयोग की सुिवधा को मानिच म दशार्या गया ह ै
14 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(ii)]
उपाबधं II
क. यशवतरावं चव्हाण सागरे र वन्यजीव अभयारण्य, महारा की सीमा े क िववरण के साथ भ-िनदू शा ंक
अभयारण्य सीमा िनदशा ंक सारणी . स.ं ाम दशाे तरं अक्षाशं के नाम
िड ी िमनट सके े ण्ड िड ी िमनट सके े ण्ड
ए दवरा े े 74 22 45.7572 17 9 14.4864
बी कु भ्भारगाँव 74 23 56.5152 17 8 8.7684
सी कुं डल 74 24 22.8564 17 6 58.104
डी घोगाँव 74 22 56.55 17 7 45.66
ई धायरी 74 22 25.806 17 8 10.0824
एफ तुपरी 74 22 9.678 17 8 20.4108
जी थाकरी 74 21 30.24 17 8 14.406
एच धुधारी 74 20 40.9128 17 9 0.828
आई िरथारे 74 20 11.8464 17 9 24.4944 हरनाकशा जे आसाद 74 20 46.3344 17 9 40.2696
के बादागाँव 74 21 29.592 17 9 2.214
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ख. यशवंतराव चव्हाण सागरे र वन्यजीव अभयारण्य, े क पािरिस्थितक सवं दीे जोन के साथ भ-िनदू शा कं
सागरे र वन्यजीव अभयारण्य की िनद शाकं सारणी