Further Discussion on the Motion for Consideration of the High Court And
Total Page:16
File Type:pdf, Size:1020Kb
12/4/2018 Sixteenth Loksabha an> Title: Further discussion on the motion for consideration of the High Court And the Supreme Court Judges (Salaries And Conditions Of Service) Amendment Bill, 2017 (Bill passed) ी गोपाल शे ट (मु बई उर) : उपाय जी, आपने मुझ े बोलने का मौका दया, इसके लए म आपको धयवाद देता हूं। उच यायालय और उचतम यायालय यायाधीश (वेतन और सेवा शत) संशोधन वधेयक, 2017 का समथन करने के लए म खड़ा हुआ हूं। उच यायालय और उचतम यायालय के जो यायाधीश होत े ह, उनके वेतन सेवा शत के बारे म यह ताव है और मझु े नहं लगता है क कोई भी इस ताव के वरोध म होगा, सभी लोग इसका समथन करगे और करना भी चाहए। हमारे देश म यायालय का एक अलग महव है। हमारे देश क लोकशाह क यह यटू है क हम सब लोग मलकर याय या का बहुत समान करत े ह। यायालय और यायाधीश को लोग देश के याय देवता के प म भी देखत े ह। यक याय या से संबंधत जो वऐाय होत े ह, उन वऐाय का नपटारा करने म भले ह देर होती होगी, लेकन कसी बात को अनदेखा करत े हुए बहुत बड़ा जु म या बहुत बड़ा अयाय कसी के साथ हुआ हो, ऐसा बहुत कम सनु ने को मलता है। इसलए याय या के त िजतना उचत समान आम नागरक म होना चाहए, वह आजाद के 70 के बाद आज भी बरकरार है, यह हम सबके लए बहुत खुशी क बात है। महोदय, म इस बल के मायम से सवच यायालय का अभनंदन करना चाहूंगा। साथ ह धयवाद करना चाहूंगा, यक याय णाल, याय या आज जो महंगी होती जा रह है। वकल के मायम से जो फस ल जाती है, वह इतनी महंगी हो गई है क सामाय यित यायालय म जाने के बारे म आसानी से सोच नह ं पाता है और फर वह वकल से सपक करने का यास करता है। इसलए इस बात क गंभीरता को समझत े हुए सुीम कोट ने सओु -मोटो एक नदश दया, निचत प से देश के लोग ने उसके कारण एक समाधान महसूस कया है। वतम ान प म जो बात आयी ह, उह म कोट करना चाहूँगा। “Expressing concern over growing commercialization of the legal profession with lawyers demanding “astronomical” fees from litigants which made it difficult for the poor to access justice, the Supreme Court on Tuesday asked the Centre to bring a law to regulate the field and to prescribe “floor and ceiling of advocate’s fees”.” आगे उहने यह भी कहा है। I quote: “Referring to various judgements of the apex court and reports of the Law Commission, a bench of Justices Adarsh K. Goel and U.U. Lalit said it was high time the Centre intervened and brought a legislation to maintain ethics in the legal profession and ensure that the poor were not deprived of legal assistance from 1/64 12/4/2018 competent lawyers due to lack of funds. It also deprecated the practice of lawyers demanding a share in their client’s pecuniary benefits awarded by courts and said it was professional misconduct for which action should be taken against erring advocates.” म मानता हूँ क यह सुीम कोट के जजेज ने एक बहुत बड़ा सओु मोटो संके त दया है और के सरकार से इस बात के बारे म आह भी कया है क इसके बारे म कायदे म जो भी उचत परवतन है, वह आपको करना चाहए। मझु े परू ा ववास है क हमार सरकार और हमारे जो वध मंी ह, वे अगले बजट स म इसके बारे म कोई न कोई नया बल पेश करगे। महोदय, जब म सु ीम कोट क एक अछ बात को लोग के सामने रखता हूँ तो इस सभागहृ क और मेर, हम सबक एक यथा भी है क इस देश म हाई कोट और सु ीम कोट म जज क जो नयिु त होती है, उनक नयुित के बारे म आजाद के 70 साल से जो एक था, परपरा चल आई है, उसके मतु ाबक ह कामकाज होता है। वऐाऩ 2014 म जब देश म एक बहुत बड़ा परवतन आया, देश के लोग ने एक सरकार को बदलकर दसू र सरकार जब परु ःथापत क तो सभी े से लोग क कु छ न कु छ उमीद थीं क सारे े म एक बड़ा परवतन आए। जूडशएर का जो एक सटम हमारे देश म डवे लप हुआ है, उसम से राता नकालने के लए सरकार ने नेशनल जू डशयल एवाइंटमट कमीशन का गठन करने का यास कया। इस लोक सभा ने उस बल को पास कया। इस बल को वापस यायालय के मायम से खारज करने का जो काम हुआ है, म मानता हूँ क यह लोकशाह के लए अछ बात नहं है। म अपनी मयादा को जानत े हुए अछे शद म अपने भाव को यत करने का यास कँ गा। सवा सौ करोड़ का यह देश पूर दु नया को एक नया संके त आने वाले दन म देने के यास म है और जब से मोद जी धान मंी बने ह, पूर दु नया म भारत देश का एक अलग मैसेज, एक अलग गरमा, एक अलग सोच जा रह है, िजसका परू दु नया के लोग वेलकम करने के लए तयै ार बैठे ह। ऐसे समय पर हमारे देश क एक बहुत बड़ी जवाबदेह, िजमेदार बनती है क िजस-िजस े म हम लोग काम करत े ह, उससे दु नया भर के लोग कु छ न कु छ सीख ल, यह परू दु नया क अपेा है और हमारे देश के लोग भी उस मानसकता म ह। महोदय, यह जो सटम वऐाऩ 1950 से चल रहा है। म उसको कोट कँ गा। “As head of the Supreme Court, the Chief Justice is responsible for the allocation of cases and appointment of constitutional benches which deal with important matters of law. In accordance with Article 145 of the Constitution of India…and Article 124 of the Constitution of India provides for the manner of appointing judges to the Supreme Court. Though no specific provision exists in the Constitution for appointing the Chief Justice, who as a result, is appointed like the other judges, conventionally, the outgoing Chief Justice of India recommends the name of the senior-most judge (that is by date of appointment to the Supreme Court) for appointment by the President of India, as his successor. ” When Prime Minister Nehru Ji wanted to see Justice M.C. Mahajan, next in line to become the Chief Justice of India, superseded on Justice Patanjali Sastri’s retirement, three 2/64 12/4/2018 Judges of the Supreme Court, including Justice Mukherjea, whom Nehru wanted as the next Chief Justice, offered to resign. He relented before the Judges and the conversion of seniority in appointment was left undisturbed. On the contrary, this convention has been breached on a few occasions during the tenure of Prime Minister Indira Gandhi Ji. She got Justice A.N. Ray appointed as Chief Justice of India, superseding three Judges senior to him. उपाय जी, इन सार यवथाओ ं के मायम से हमारा देश आगे बढ़ा। वतम ान म जो णाल चल रह है, उसके मायम से इस कार क बात भी सामने आई ह। म मानता हूं क सुीम कोट का इस देश म एक बहुत ऊं चा थान है। वहां पर इस कार क बात होना इतने बड़ े देश के लए अछ बात नहं है। इसके लए एक नया मैके नम बनाने क बहुत आवयकता थी। इस बात को यान म रखत े हुए मोद जी क सरकार ने ‘नेशनल यूडशएल अवायंटमट कमीशन’ बनाना तय कया और उसके बारे म यहां पर बहुत चचा भी हुई। उपाय जी, भारतीय जनता पाट जब पारदशत ा क बात करती है तो देश के इतहास म पहल बार लोक सभा म इस कार क िथत का नमाण हुआ, जहां पर वप के पास िजतनी संया होनी चाहए थी, उतनी संया भी नहं हो पाई। इस बात को सरकार ने यान म रखकर उस बल के नयम म जो बदलाव होना चाहए था, उसे कया, ताक कम संया होत े हुए भी वप को उसका दजा मले और यह जो कमीशन बनने वाला है, इसम उनक भी सहभागता हो। हमने वप को भी इसम समावऐट करने का यास कया। यह एक बहुत ह अछा सटम है। म मानता हूं क इससे अछा सटम कोई हो ह नहं सकता है। अगर इसम भी कोई सुझाव आए तो निचत प से उसका वागत करना चाहए और ऐसे सुझाव को सामने लाना भी चाहए। हमारे धान मंी जी जब परू े देश के सवा सौ करोड़ लोग क बात करत े ह तो इसम उन सभी सवा सौ करोड़ लोग को समावऐट करने का यास कया गया है। वह कै से कया गया, इसको म इस तरह से बताने का यास कं गा क देश के िजतने भी लोक सभा के मेबस ह, वे ाइम मनटर को चनु त े ह तो उनका उसम योगदान हो जाता है। देश के राऐपत को लोक सभा और राय सभा के सभी एम.पी.