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jftLVªh laö Mhö ,yö&33004@99 REGD. NO. D. L.-33004/99 vlk/kj.k EXTRAORDINARY Hkkx II—[k.M 3 —mi&[k.M (ii) PART II—Section 3—Sub-section (ii) izkf/dkj ls izdkf'kr PUBLISHED BY AUTHORITY la- 2817] ubZ fnYyh] cq/okj] uoEcj 30] 2016@vxzgk;.k 9] 1938 No. 2817] NEW DELHI, WEDNESDAY, NOVEMBER 30, 2016/ AGRAHAYANA 9, 1938 पयाव रण , वन और जलवाय ु परवतन मंालय अिधसचू ना नई दली, 30 uoEcj] 2016 का .आ. 3596 (अ).—भारत सरकार के पयावरण, वन और जलवायु परवतन मंालय क अिधसूचना सं. 1450 (अ) तारीख 1 जून, 2015, उन सभी िय से, िजनके उससे भािवत होने क संभावना थी, उस तारीख से, िजसको उस राजप क ितयां, िजसम यह अिधसूचना अंतव है, उपलध करा दी गई थी, साठ दन क अविध के भीतर आेप और सुझाव आमंित करते ए एक ाप अिधसूचना कािशत क गई थी; और, उ ाप अिधसूचना के उर म सभी िय और पणधारय से ा आेप और सुझाव पर कीय सरकार ारा सयक् प से िवचार कया गया; पाखल व यजीव अभयार य 17°42.5’ और 18°10’ उर अांश तथा 79°55’ और 80°10’ पूव देशांतर के बीच म अविथत है और जो मुयत: तेलंगाना के वारंगल (दिण) भाग और वारंगल (उर) भाग के भीतर आता है और यह मश: इटरनगरम वयजीव अभयारय और करासनी वयजीव अभयारय (खम िजले) ये पह और तीस कलोमीटर क दूरी पर अविथत है ; और, तकालीन संयु आं देश राय के ाचीनतम अभयारय म से पाखल वयजीव अभयारय एक है, अभयारय का नामकरण पाखल झील (नमभूिम), के नाम पर कया गया है, जो थानीय लोग के िलए सचाई का 5533 GI/2016 (1) 2 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [P ART II—SEC . 3(ii)] ोत है और ऐितहािसक पैतृक संपि से भी भरपूर है, इसका सिमाण 1323 ई. के दौरान काकाितय राजवंश का राजा ताप ारा कराया गया था ; और, पाखल वयजीव अभयारय ‘6बी’ जैव-भौगोिलक े, अथात् िडकैन ायीप (6) के मुख पठार म आता है और गोदावरी घाटी के वन के िवतृत भू-भाग का एक भाग भी है, जो उसके उर पूव म इटरनगरम वयजीव अभयारय और उस अभयारय के दिण पूव म केरासानी वयजीव अभयारय म समािहत है; और, उस अभयारय म सामायत: टमनेलीय टोमेनटोसा, एनोजेइसस लेटीफोिलया, बोवेिलया सेरैटा, डायपायरस मेकैयनोसाइलेगन, टरयूलीया यूरेस, मधुका इंिडका, डैलबेरिजया पटकुलेटा, ओिडना वोिडयर, जैिलया डोबैिफोरिमस, लोरोजाइलोन वाटेिनया, लेजरोिमया पैरवीलोरा, लेटैनथस कोिलनस, सोयिमडा फेीयूगा, टेरिमनैिलया बैवेरका, टमनैिलया चेूबा, अकेशीया सुबा , अभयारय के चटागुडा खड म िवशेष प से िवतृत बैबू ैस िजसम डोकैलेमस एीटस और बैबुसा उरडीनैसी भी है ; और, पाखल वयजीव अभयारय म िविभ कार के संकटाप जाितयाँ, जैसे बाघ (पथरा टगरस), भारतीय गौर, तदुआ (पथरा पारडस), तदुआ िबली (परीयोनीलरस बगलेनिसस), रीछ (मेलोसस यूरिसनस), लकड़बघा (हायना हायना), जंगली कुा (काउन अपाइनस), भेिड़या (कैिनस लपस पिलपेस), िसयार (कैिनस औरेस), लोमड़ी (वुपेस बगलेनिसस), सांभर (सा यूिनकलर), चीतल (एिसस एिसस), चौसघा िहरन (टेटरािसरस ाडरीकॉरिनस), चकारा, नीलगाय (बोसलेफस ागोकेमलस), अजगर (पायथन मॉलूरस), िवशाल िगलहरी (पैटाओरटा फलीपिसस) और उड़ने वाली िगलहरी शरण िलए ए है ; और, पाखल वयजीव अभयारय दो जल िनकास पितय के िलए जलागमन का भाग बनाता है, एक जल िनकास पित लखनावारम झील से होकर गोदावरी नदी म िमलता है और दूसरा पाखल झील और पाखल नदी (खमाम िजले क मुे नदी) से होते ए कृणा नदी म िमलता है ; और, अब इस अभयारय के चार ओर के े का पर रण और संरण करना आव यक है तथा िज सक सीमा को इस अिध सूचना के पैरा 1 म पाखल व यजीव अभयार य के चार ओर पार ि थ तक संवेदी जोन के प म िव िन द ट क या गया है और पयावरण क दृि ट से उोग या उोग के वग को तथा उनक सं या और या को उ त पार ि थ तक संवेदी जोन म ितिष करना आव यक है; अतः, अब, कीय सरकार, पयावरण (संरण) िनयम, 1986 के िनयम 5 के उपिनयम (3) के साथ पठत ] पयावरण (संरण) अिधिनयम, 1986 (1986 का 29) क धारा 3 क उपधारा (2), के खंड (v) और खंड (xiv) तथा उपधारा (3) के साथ पठत उपधारा (1) ारा द शिय का योग करते ए, तेलंगाना राय म पाखल व यजीव अभयार य क सीमा से 0 (पारिथितक संवेदी जोन शूय पाखल वयजीव अभयारय क सीमा के साथ उर-पूव छोर जो इटरनगरम वयजीव अभयारय क सीमा के समीप क ओर है) से 10 कलोमीटर तक के े को, पाखल व यजीव अभयार य ‘पारिथितक संवेदी जोन’ (िजसे इसम इसके प चात् पारिथितक संवेदी जोन कहा गया है) के प म अिधसूिचत करती है, िजसके यौरे िनिलिखत है, अथात्: 1. पारिथितक सवं दे ी जोन का िवतार और उसक सीमाए--(1)ं पारि थितक संवेदी जोन तेलंगाना के वारंगल िजले म 965.71 वग कलोमीटर के े म िवतृत है और िजसके अंतगत वारंगल िजले म 11 मंडल अथात् मुलुगू, नेलाबेली, नरसंपत, कानापुर, गुदूर, कोयागुडा, चेारावपेट, महबुबाद, केसमुदरम, गोबदरावपेट, तडवई के 108 ाम सिमिलत है । ¹Hkkx II µ[k.M 3(ii) ] Hkkjr dk jkti=k % vlk/kj.k 3 (2) पारिथितक संवेदी जोन पाखल वयजीव अभयारय क सीमा से शूय कलोमीटर से दस कलोमीटर तक के े म है । (3) पारिथितक संवेदी जोन क सीमा का वणन उपाबधं I के प म संल है और ाम क सूची उपाबधं II म दी गई है । (4) अांश और देशांतर रेखा के साथ-साथ पारिथितक संवेदी जोन क सीमा का मानिच उपाबधं III के प म इस अिधसूचना के साथ संल है । 2. पारिथितक सवं दे ी जोन के िलए आचं िलक महायोजना —(1) पारि थितक संवेदी जोन के योजन के िलए राजप म अंितम अिधसूचना के काशन क तारीख से दो वष क अविध के भीतर, थानीय लोग से आंचिलक महायोजना, इस अिधसूचना म िविनद रीित के अनुसार तैयार क जायेगी और पारि थितक संवेदी जोन के िलए आचंिलक महायोजना इस अिधसूचना म िविनद ट प म ऐसी रीित म रा य सरकार तथा सुसंगत कीय और रा य िविधय के सामंज य म भी तथा कीय सरकार ारा जारी मागिनदश, यद कोई ह, ारा तैयार होगी । (2) आंचिलक महायोजना, इसम पयावरणीय और पारि थितक िवचार को समेकत करने के िलए संब राय सरकार के िवभाग के िन निलिखत सभी परामश से तैयार होगी, अथात्:-- (i) पयावरण ; (ii) वन ; (iii) नगर िवकास ; (iv) पयटन ; (v) कृिष ; (vi) नगरपािलका ; (vii) राज व ; (viii) लोक िनमाण िवभाग; (ix) आं देश राय दूषण िनयंण बोड ; (x) जल संसाधन ; (xi) सचाई; (xii) बागवानी ; और (xiii) पंचायती राज, ामीण िवकास । (3) आंचिलक महायोजना सभी तािवत ाम बितय, शहरी बितय, िवमान पूजा थल, मनोरंजन महव सिहत सांकृितक महव के े ,वन के कार और क म, कृिष े, ऊपजाऊ भूिम, हरत े जैसे उान और उसी कार के थान, उान कृिष े, आकड, झील और अय जल िनकाय का अयकंन करेगी और ऐसे े को प प से नशे के साथ आंचिलक महायोजना म िनधारत कया जाएगा। (4) आंचिलक महायोजना अनुमोदत िवमान भू-उपयोग, अवसंरचना मक और याकलाप पर कोई िनबधन अिधरोिपत नह करेगी जब तक क इस अिधसूचना म िविनद ट न हो और आचंिलक महायोजना सभी अवसंरचना और याकलाप म अिधक भावी और पारि थितक अनुकूल कारक होगी । (5) आंचिलक महायोजना पारि थितक संवेदी जोन म िवकास को पारि थितक अनुकूल िवकास और थानीय समुदाय क जीवकोपाजन को सुिनि चत करते ए िविनयिमत होगी । (6) आंचिलक महायोजना म अनाछादत े के जीणार, िवमान जल िनकाय के संरण, आवाह े के बंधन, जल-संभर के बंधन, भूतल जल के बंधन, मृदा और नमी संरण, थानीय समुदाय क आवयकता तथा पारिथितक और पयावरण से संबंिधत ऐसे अय पहलू, िजन पर यान देना आवयक है, के िलए उपबंध हगे । 4 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [P ART II—SEC .